मेरी सच्ची साथी! कॉलेज में जाने के बाद पढ़ाई के साथ-साथ मैंने एनसीसी भी ज्वाइन कर लिया था। खेलकूद में पहले से ही रुचि होने के कारण जब मैंने सुना कि इस कॉलेज में एनसीसी भी है तब मैं एनसीसी के मैम से मिली और मैंने फॉर्म भरकर एनसीसी ज्वाइन भी कर लिया। पढ़ाई के साथ - साथ मैं परेड बगैरह में भी हिस्सा लेने लगी। एसएससी की ट्रेनिंग के दौरान ही मुझे पता चला कि हमारे कॉलेज का पहला ट्रिप शिमला जाने वाला है। मैं बहुत खुश थी यह सोच कर कि मैं शिमला जा पाऊंगी लेकिन घर आकर मेरी खुशी और मेरा सारा उत्साह जाता रहा क्योंकि घर में सब ने मना कर दिया कि इतनी दूर हम तुम्हें नहीं भेज सकते।
मेरी सच्ची साथी! सच में उस दिन बहुत रोना आया था और यह भी कि लड़कियों को लोग क्यों कहीं जाने से रोकते हैं क्या हमें कहीं पर जाने का हक नहीं है? शुरू से ही मां मेरी दोस्त रही है। अपनी सारी बातें मैं अपनी मां से ही साझा करती आई हूं और जब उनके पूछने पर कि मैं इतनी उदास क्यों हूॅं मैंने कारण बताया तो वह समझ गई कि मुझे कॉलेज के ट्रिप पर जाने का मन है। मुझे तो उस दिन यकीन ही नहीं हुआ था जब घर के सभी लोगों ने कहा कि तुम शिमला जा सकती हो। सच में बहुत खुश हुई थी मैं और इसी खुशी में मैंने अपनी मां को बहुत जोर से गले भी लगा लिया था जिसका जिक्र हुआ आज भी मेरे सामने करती हैं।
मेरी सच्ची साथी! एनसीसी की तरफ से कॉलेज के पहले ट्रिपल में गई थी तो वहां पर हमें ट्रैकिंग करनी थी पहाड़ियों पर ट्रैकिंग करने का अलग ही मजा था और वह भी शिमला की हरी -भरी वादियों में। सुबह से दोपहर तक हम पहाड़ों और जंगलों में चैटिंग करते थे और दोपहर में खाना खाने के बाद टेस्ट करने के बाद हमें शिमला शहर में घुमाने के लिए ले जाया जाता था वहीं पर हमने माल रोड भी देखा और रात में जाकर हमें उस जगह से पूरे शिमला शहर को भी दिखाया गया। सच में बहुत अनुपम दृश्य था। बहुत मजा आया कॉलेज की ओर से पहले ट्रिप में।
मेरी सच्ची साथी! पहली बार घर से दूर अपने माता पिता और भाई बहनों से दूर मैं गई थी। कभी-कभी उनकी याद आती भी थी लेकिन दोस्तों और इतने एडवेंचर के बीच में बहुत ही आनंद के पल बिताने को मिल रहे थे, उन पलों में मैं सब कुछ भूल गई थी। हमारे साथ में एनसीसी वाली मैम भी थी जो रात में हम सबको नाच गाकर मनोरंजन भी करवाती थी। एनसीसी की तरफ से हमारे ही शहर से और भी लड़कियां नहीं गई थी बल्कि अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग शहरों की और भी लड़कियां वहां पर उस ट्रिप में आई हुई थी। अलग-अलग राज्यों की लड़कियों से भी हमारी दोस्ती हुई थी। रात में हमारे द्वारा साथ बिताया गया समय यादगार पल बनकर हम सबके साथ आज भी व्याप्त है। एसएससी की उस ट्रिप में मिली लड़की आज भी मेरी दोस्त है। हम फोन पर और वीडियो कॉल पर आज भी बात करते हैं। उस ट्रिप ने मुझे बहुत ही खुशी दिलाई थी।
मेरी सच्ची साथी! कॉलेज के वह दिन आज भी जब आखों के सामने आता है तो दिल झूमने लगता है और दोस्तों का साथ पाने के लिए फिर से लालायित हो उठता है लेकिन क्या करें? वह पल अब वापस आ ही नहीं सकता है। कॉलेज की और भी यादों को अपने आप में समेटकर तुमसे साझा करने के लिए और तुमसे मिलने फिर से आऊंगी तब तक के लिए मुझे जाने की इजाजत दो।
🙏🏻🙏🏻 बाय बाय 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💗
Radhika
09-Mar-2023 01:45 PM
Nice
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Alka jain
01-Mar-2023 07:58 PM
Nice 👍🏼
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अदिति झा
03-Feb-2023 01:20 PM
Nice 👍🏼
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